Monday, September 12, 2016

पुनर्जन्म सच या भ्रम :
भूत,प्रेत,आत्मा, से जुडी घटनाएं हमेशा से एक विवाद का विषय रही है वैसे हि पुनर्जन्म से जुड़ी घटनाय और कहानिया भी हमेशासे विवाद का विषय रही है। इन पर विश्वास और अविश्वास करने वाले, दोनो हि बड़ी संख्या मे है, जिनके पास अपने अपने तर्क है। यहुदी, ईसाई यत और इस्लाम तीनो धर्म पुनर्जन्म मे यकीन नहि करते है, इसके विपरीत हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म पुनर्जन्म मे यकीन करते है। हिंदू धर्म के अनुसार मनुष्य का केवल शरीर मरता है उसकी आत्मा नहीं। आत्माएक शरीर का त्याग कर दूसरे शरीर में प्रवेश करती है, इसे ही पुनर्जन्म कहते हैं। हालांकि नया जन्म लेने के बाद पिछले जन्म कि याद बहुत हि कम लोगो को रह पाती है। इसलिए ऐसी घटनाएं कभी कभार ही सामने आती है। पुनर्जन्म की घटनाएं भारत सहित दुनिया के कई हिस्सोंमे सुनने को मिलती है।पुनर्जन्म के ऊपर हुए शोध :पुनर्जन्म के ऊपर अब तक हुए शोधों मे दो शोध (रिसर्च) बहुत महत्त्वपूर्ण है। पहला अमेरिका की वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉ. इयान स्टीवेन्सन का। इन्होने 40साल तक इस विषय पर शोध करने के बाद एक किताब “रिइंकार्नेशन एंड बायोलॉजी” लीखी जो कि पुनर्जन्म से सम्बन्धित सबसे महत्तवपूर्ण बुक मानी जाती है। दूसरा शोध बेंगलोर की नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसीजय में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट के रूप में कार्यरत डॉ. सतवंत पसरिया द्वारा किया गया है। इन्होने भी एक बुक “श्क्लेम्स ऑफ रिइंकार्नेशनरू एम्पिरिकल स्टी ऑफ केसेज इन इंडिया” लिखी है। इसमें 1973 के बाद से भारत में हुई 500 पुनर्जन्म की घटनाओ का उल्लेख है।गीताप्रेस गोरखपुर ने भी अपनी एक किताब ‘परलोक और पुनर्जन्मांक’ में ऐसी कई घटनाओं का वर्णन किया है
अनिष्ट शक्तियों से लोग कैसे आविष्ट हो जाते हैं ?
१. परिचय
आध्यात्मिक रूप से जिज्ञासु व्यक्ति अधिकतरही यह प्रश्न पूछते हैं कि अनिष्ट शक्तियों से लोग आविष्ट कैसे हो जाते हैं ? आविष्ट होने की प्रक्रिया विशिष्ट रूप से चार सामान्य चरणों में होती है । ये चरण कुछ क्षणों में पूरे हो सकते हैं अथवा कभी-कभी इन्हें पूरे होने में कई महीने लगजाते हैं । इसके संदर्भ में इस लेख में विस्तार से वर्णन किया गया है ।
२. अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस, इत्यादि) द्वारा लोगों के आविष्ट होने का वर्णन करने वाला एक उदाहरण
लोगों के अनिष्ट शक्ति से आविष्ट होने की प्रक्रिया अच्छे से समझने के लिए एक किले का उदाहरण लेते हैं, जिसपर प्राचीन समय में आक्रमण हुआ और उसे घेर लिया गया । किले के सुरक्षा तंत्र में इसकी दीवार, इसके रक्षक एवं इसके अनाज भंडार में रखा अनाज है । इन सब के कारण शत्रु को बाहर प्रतीक्षा करनी पडती है । शत्रु घेराबंदी कर चुका है, तथा धैर्यपूर्वक किले के बाहर खडा है । वह अंदर के लोगों को भूखा रखकर अथवा मानसिक युक्ति के प्रयोग द्वारा उन्हें निर्बल बनाने का प्रयत्न करता है । शत्रु किले के सुरक्षा तंत्र में सेंध मारने के प्रत्येक अवसर को झपट लेता । इस पूरी प्रक्रिया में बहुत समय लग सकता है । तथापि एक बार किले में सेंध मारने के पश्चात, शत्रु उसे और तोडने पर एवं किले को नियंत्रण में लेने पर ध्यान देता है ।
यह विधि प्रायःअनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस, इत्यादि)द्वारा लोगों को आविष्ट करने तथा उन पर नियंत्रण करने के समान ही है । लक्ष्यित व्यक्ति उपरोक्त उदाहरण में दिए किले के समान है तथा शत्रुअनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, राक्षस, इत्यादि)का प्रतिनिधित्व करता है ।
३. आविष्ट होने की कालावधि ऊपर बताए अनुसार, भूतावेश की प्रक्रिया कुछ सेकेंडों में अथवा कुछ महिनों में हो सकती है । यह मुख्यतः दो कारकों पर निर्भर करता है :
१. आविष्ट होने वाले व्यक्ति की दुर्बलता। इसका अर्थ है, शारीरिक अथवा मानसिक स्तर की दुर्बलता ।
२. अनिष्ट शक्ति तथा भूतावेश के लिए लक्ष्यित व्यक्ति की तुलनात्मक आध्यात्मिक शक्ति। अनिष्ट शक्ति अपने से १० प्रतिशत अधिक आध्यात्मिक शक्ति वाले व्यक्ति पर ना ही आक्रमण कर सकती है और ना ही उसे आविष्ट कर सकती है । संदर्भ हेतु पढें लेख,अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस, इत्यादि) के विरुद्ध आध्यात्मिक स्तर कितनी मात्रा में सुरक्षा-कवच प्रदान करता है ?Iउच्च आध्यात्मिक शक्ति की अनिष्ट शक्ति निम्न आध्यात्मिक शक्ति के व्यक्ति को सरलता से आविष्ट कर सकती है । आध्यात्मिक शक्तिसाधना से प्राप्त होतीहै ।
४. चरण
१ : भूतावेश के लिए वातावरण निर्मिति(किले की सुरक्षा को दुर्बल करना)अनिष्ट शक्ति सर्वप्रथम लक्ष्यित व्यक्ति के वातावरण को आविष्ट करने की प्रक्रिया हेतु अनुकूल बनाती है । यह मन को अस्थिर करनेवाली परिस्थितियां निर्मित करती है अथवा उसका लाभ उठाती है और इस प्रकार व्यक्ति को दुर्बल बनाती है । ये परिस्थितियां शारीरिक स्तर की अथवा मानसिक स्तर की हो सकती हैं ।
*.शारीरिक स्तर पर, अनिष्ट शक्ति त्वचा में चकते पडना (स्कीनरेशेस) , शिशु का पूरी रात रोते रहना, जिससे उनके माता-पिता अनिद्रा से पीडित हो जाएं इत्यादि जैसी समस्याएं निर्मित करती हैं अथवा उनका लाभ उठाती है । वे इन समस्याओं से निर्मित दुर्बलताओंका लाभ उठाकर प्रवेश का मार्ग बनाती हैं
*.मानसिक स्तर पर, वे हमपर निम्नांकित में से किसी के द्वारा प्रभाव डालती हैं ।
*.स्वभावदोषों जैसे क्रोध, भय, भावनात्मक प्रवृति इत्यादि का लाभ उठाकर । वे इन स्वभावदोषों कोऔर बढाती हैं एवं इस प्रकार हमारी दुर्बलतामें और वृद्धि करती हैं । स्वभावदोष जितने अधिक होंगे, अनिष्ट शक्ति के लिए आविष्ट करना उतना अधिक सरल होगा, इस प्रकार भूतावेश की पूरी प्रक्रियाशीघ्र गति से होने लगती है । तमप्रधान व्यक्ति जिनमेंदुर्बल मन, अस्थिरता, तीव्र इच्छा तथा भयग्रस्तताजैसे स्वभाव दोष हों, उन्हें आविष्ट करना अनिष्ट शक्तियों के लिए अधिक सरल होता है । अनिष्ट शक्ति हमारे स्वभाव दोषों को हानिकारक विचारों से और बढाकर हमारे संसार को और भी अस्थिर बना देती है ।
*.वह नकारात्मक विचार डालती है, अपने तथा अन्यों के संदर्भ में शंका निर्माण करती है , निराशा लाती है, घर में झगडे करवाती है । अनिष्ट शक्ति द्वारा व्यक्तिमें डाले गए अनुचित विचारोंके कारण वह दुर्व्यवहार करने लगता है । वह अपने सामान्य व्यवहार से एकदम अलग व्यवहार करने लगता है, जिससे उसका मानसिक संतुलन बिगड जाता है । इसका उदाहरण ऐसा हो सकता है, एक अकेली स्त्री को तीव्र यौन संबंधी विचार आना तथा किसी भी पुरुष के साथ उन विचारों के अनुरूप कृत्य करना । इससे उसका उत्पीडन हो सकता है और समस्याएं और बढेंगी । अन्य उदाहरण परिवार में कमानेवाले की आर्थिक हानि होना अथवा परिवार का किसी षडयंत्र में फंस जाना । इसलिए, शारीरिक समस्याओं अथवा मानसिक समस्याओं के माध्यम से अनिष्ट शक्तियां व्यक्ति के मानसिक संतुलन को अस्थिर कर इस प्रकार दुर्बलता निर्माण करती है ।

Saturday, September 10, 2016

कभी कभी हमें एक अंजाना डर सताने लगता है ,अपने आस पास किसी के होनेका आभास होता है हमारा स्वास्थय धीरे धीरे खराब होने लगता है काम बनते बनते रह जाता है । एक तरीके से हम इन सब समस्याओं की असली वजह का पता ना लगाकर इधरउधर भटकते रहते है ,कभी डॉक्टर के पास तो कभी डोंगी बाबाओं के पास ,तमाम पैसे खर्च करने के बाद भी इनसे निजात नही पाते ।ये समस्यायें धीरे धीरे इतना बड़ा रूप ले लेती हैं कि उनको सही करना मुश्किल हो जाता है ।
आज के दौर मैं मध्यम वर्ग के लोग या यूँ कहें कि कुछ लोग किसी की तरक्की से ,चाहे उनका कोई अपना प्रतीदुन्दी जिससे आगे निकलने की होड़ मैं , या इर्ष्या के कारण उसका  बुरा करने के इरादे से कुछ तन्त्र करा देते हैं, वो तांत्रिक अपने ज्ञान का प्रयोग सिर्फ पैसे के लिये कर देता है बिना सही या गलत जाने ,और फ़िर शुरू होता है आत्माओ की दुनियाँ का खेल  जिससे उस इन्सान की जिंदगी मैं फ़िर सब बुरा होने लगता है ।यहाँ तक कभी कभी कारण देर से पता लगने से जान भी चली जाती है ,या तब तक काफी देर हो चुकी होती है ।एक तरफ से देखा जाये तो ये उसका बुरा वक्त शुरू हो जाता है या भगवान की मर्जी कह लीजिए ,लेकिन उस बुरे वक्त की परेशानी का इलाज मिल जाये तो उसे करवाने मैं कोई हर्ज नही होना चाहिये ।
दोस्तो आपको या आपके आस पास किसी भी घर ,आपके बिज़्नेस ,जॉब मैं  ऐसी प्रोब्लम हो तो हाथ पर हाथ रख कर बैठने से बेहतर है कि उसका समाधान ढ़ूंढ़ा जाये ।
ठीक वैसे ही जैसे बुखार होने पर हम डॉक्टर के पास जाते है उसके खुद जाने का इंतजार ना करके ।

आत्माये हमारे शरीर से सारी पॉज़िटिव एनर्जी को बाहर कर देती हैं
जिस तरीके से हम इन्सान इस दुनियाँ मैं रहते हैं ठीक उसी तरीके से ये भी इसी दुनियाँ मैं रहती है और हम लोगों से इनकी गिनती कई गुना ज्यादा है ,हज़ारों लाखों  सालों से कितने लोग इस धरती पर मरते आ रहें हैं ,
जिसको जन्म मिल गया वो भी अपने पिछले जन्म के परिवार से उम्मीद रखते हैं कि उसकी बनाई दुनियाँ मैं उसके जाने के बाद भी इतना परिवर्तन ना किया जाये जो उन्हें दुःख दे ।

इंसान मरने के बाद भी हमेशा अपनी जगह पर अपना आधिपत्य रखता है ,कि कोई भी बिना उसकी मर्जी के उसको वहाँ से निकाल नही सकता ,बस उसके घर वाले लोगों से उनको मनवाने मैं मदद जरूर कर सकता है ।
अगर आप मैं किसी को भी ऐसी कोई समस्या हो तो तुरंत  मुझसे सम्पर्क करें ।